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पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

आर्य समय डेस्क। ओबीसी आरक्षण के संदर्भ  में याचिका की सुनवाई करते हुए पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सूचना आयोग को कड़ी फटकार भी लगाई है। उल्लेखनीय है कि मप्र हाईकोर्ट के चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार करने पर कांग्रेस ने देश की शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से कहा है कि कानून के दायरे में ही रहकर चुनाव करवाएं और OBC के लिए निर्धारित सीटों को सामान्य सीटों में तब्दील करने की अधिसूचना जारी करें। महाराष्ट्र के बाद अब मध्य प्रदेश में भी निकाय और पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया है। मध्य प्रदेश में होने वाले स्थानीय निकाय में अन्‍य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण पर चुनाव नहीं होगा। OBC के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य सीट मानते हुए चुनाव कराने को कहा गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना आरक्षण के फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता, जो अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से कहा कि कानून के दायरे में ही रहकर चुनाव करवाएं और OBC के लिए निर्धारित सीटों को सामान्य सीटों में तब्दील करने की अधिसूचना जारी करें। अदालत ने कहा कि कानून का पालन नहीं होगा तो भविष्य में सुप्रीम कोर्ट चुनाव को रद्द भी कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को करेगा।

कोर्ट ने दो टूक कहा कि राज्य सरकार OBC आरक्षण मामले में आग से मत खेले। याचिकाकर्ताओं के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा के मुताबिक राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए गए हैं कि चुनाव संविधान के हिसाब से हो तो ही कराइए। मध्यप्रदेश में आरक्षण रोटेशन का पालन नहीं किया गया, यह संविधान की धारा 243 (C) और (D) का साफ उल्लंघन है। अभी सुप्रीम कोर्ट का विस्तृत आदेश आना शेष है। मामले में राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा कि कोर्ट का आदेश मिलने के बाद चुनाव रोकने पर निर्णय लिया जाएगा।

राज्य निर्वाचन आयोग असमंजस में इसलिए भी है, क्योंकि पंचायत चुनाव को लेकर 2014 के आरक्षण के हिसाब से जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, सरपंच और पंच के नामांकन भरवाए जा रहे हैं। चूंकि जिला पंचायत अध्यक्ष की प्रक्रिया और चुनाव इसके संपन्न होने के बाद होगी, इसलिए मामला खटाई में पड़ता गया है। सब कुछ नए सिरे से होगा।

याचिककर्ता कांग्रेस पंचायत प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डीपी धाकड़ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता एवं राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा ने पक्ष रखा। दोपहर दो बजे मामले की सुनवाई शुरू हुई। लगभग आधे घंटे चली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को फटकार लगाते रहे। महाराष्ट्र चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि ओबीसी मामले में आग से मत खेलो। ओबीसी सीटों के आरक्षण पर रोक लगाते हुए इस पर राज्य सरकार से जवाब मांगा।

रोटेशन मामले में दायर याचिका पर 21 दिसंबर को हाईकोर्ट में होगी सुनवाई

उधर, एमपी हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गुरुवार 16 दिसंबर को एमपी हाईकोर्ट में दमोह निवासी डॉ. जया ठाकुर और छिंदवाड़ा निवासी जफर सैयद की ओर से लगाई गई याचिका पर भी सुनवाई हुई थी। याचिकाकर्ताओं ने 2014 के आरक्षण के आधार पर चुनाव कराने और रोटेशन की प्रक्रिया का पालन न किए जाने की संवैधानिकता को चुनौती दी है। अधिवक्ता वरुण सिंह ठाकुर के तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने मामले में 21 दिसंबर को अगली सुनवाई तय की है।

दरअसल, सरकार ने 2019-20 में पंचायत चुनाव का आरक्षण निर्धारित कर दिया था। इसकी अधिसूचना जारी हो गई थी। इस पुरानी अधिसूचना को निरस्त किए बिना सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से नई अधिसूचना जारी कर दी। राज्य सरकार ने 21 नवंबर 2021 को आगामी पंचायत चुनाव को 2014 के आरक्षण रोस्टर के आधार पर कराने की घोषणा की है। याचिका में कमल नाथ सरकार के समय हुए परिसीमन को निरस्त करने और 2014 की स्थिति में लागू परिसीमन व आरक्षण के आधार पर पंचायत चुनाव कराने पर आपत्ति उठाई गई है।

सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले इस मामले में हाईकोर्ट ने 9 दिसंबर को मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

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